THE 5-SECOND TRICK FOR HANUMAN CHALISA

The 5-Second Trick For hanuman chalisa

The 5-Second Trick For hanuman chalisa

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[RamDoota=Lord Ram messenger; atulita=measured; atilita=immeasurable; bala=electrical power; dhama=abode; Anjani=of Anjana; putra=son; pavana=wind; suta=son; naama=identify]

सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।

व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते हैं, वाणी से कुछ दूसरी बात बोलते हैं तथा कर्म कुछ और करते हैं, वे दुरात्मा हैं। वे संकट से नहीं छूटते।

आपका अनुग्रह न होने पर सुगम कार्य भी दुर्गम प्रतीत होता है, परंतु सरल साधन से जीव पर श्री हनुमान जी की कृपा शीघ्र हो जाती है।

Numerous 14th-century and later on Hanuman images are present in the ruins with the Hindu Vijayanagara Empire.[35] In Valmiki's Ramayana, estimated to have already been composed ahead of or in with regard to the 3rd century BCE,[36] Hanuman is a crucial, Resourceful determine to be a simian helper and messenger hanuman chalisa for Rama. It is actually, having said that, during the late medieval period that his profile evolves into a extra central job and dominance as the exemplary spiritual devotee, particularly with the favored vernacular text Ramcharitmanas by Tulsidas (~ 1575 CE).

श्याम-श्याम भजि बारंबारा । सहज ही हो भवसागर पारा ॥ इन सम देव न दूजा कोई ।..

काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।

SankataSankataTrouble / issues kataiKataiCut brief / end mitaiMitaiRemoved sabaSabaAll pīrāPīrāPains / difficulties / sufferings

BhīmaBhīmaFrightening rūpaRūpaForm / human body / condition DhariDhariAssuming asuraAsuraDemon samhāreSamhāreDestroy / kill

भावार्थ– हे हनुमान् स्वामिन् ! आपकी जय हो ! जय हो !! जय हो !!! आप श्री गुरुदेव की भाँति मेरे ऊपर कृपा कीजिये।

व्याख्या – भक्त के हृदय में भगवान् रहते ही हैं। इसलिये भक्त को हृदय में विराजमान करने पर प्रभु स्वतः विराजमान हो जाते हैं। श्री हनुमान जी भगवान् राम के परम भक्त हैं। उनसे अन्त में यह प्रार्थना की गयी है कि प्रभु के साथ मेरे हृदय में आप विराजमान हों।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥

क्या चलते-फिरते हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं?

व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।

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